Mazhar Imam Hindi Shayari

  • मोहब्बत आप ही मंज़िल है अपनी;<br/>
न जाने हुस्न क्यों इतरा रहा है!Upload to Facebook
    मोहब्बत आप ही मंज़िल है अपनी;
    न जाने हुस्न क्यों इतरा रहा है!
    ~ Mazhar Imam