Muzaffar Razmi Hindi Shayari

  • `ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने,</br>
लम्हों ने ख़ता की थी, सदियों ने सज़ा पाई।`Upload to Facebook
    "ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने,
    लम्हों ने ख़ता की थी, सदियों ने सज़ा पाई।"
    ~ Muzaffar Razmi
  • ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नजरों ने;<br/>
लम्हों ने ख़ता की थी सदियों ने सजा पाई!Upload to Facebook
    ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नजरों ने;
    लम्हों ने ख़ता की थी सदियों ने सजा पाई!
    ~ Muzaffar Razmi