Syed Hamid Hindi Shayari

  • एक दो ज़ख़्म नहीं जिस्म है सारा छलनी;</br>
दर्द बे-चारा परेशान है कहाँ से निकले!Upload to Facebook
    एक दो ज़ख़्म नहीं जिस्म है सारा छलनी;
    दर्द बे-चारा परेशान है कहाँ से निकले!
    ~ Syed Hamid