उम्र निसार दूं तेरी उस एक नज़र पे; जो तू मुझे देखे और मैं तेरा हो जाउं! |
राख से भी आएगी खुशबू मोहब्बत की; मेरे खत तुम सरेआम जलाया ना करो! |
चलेगा मुक़दमा आसमान में सब आशिकों पर एक दिन; जिसे देखो अपने महबूब को चाँद जो बताता है! |
अदा है, ख्वाब है, तकसीम है, तमाशा है; एक शख्स मेरी इन आँखो में बेतहाशा है! |
मोहब्बत तो वो बारिश है, जिसे छूने की चाहत में; हथेलियां तो गीली हो जाती हैं, पर हाथ खाली ही रह जाते हैं! |
सारी उम्र आँखों में एक सपना याद रहा; सदियाँ बीत गयी पर वो लम्हा याद रहा; ना जाने क्या बात थी उनमे और हम में; सारी महफ़िल भूल गए बस वो चेहरा याद रहा। |
नफरतों के जहान में हमको प्यार की बस्तियां बसानी हैं; दूर रहना कोई कमाल नहीं, पास आओ तो कोई बात बने। |
कौन कहता है मुलाक़ात हमारी आज की है; तू मेरी रूह के अंदर तो कई सदियों से है। |
ये कहाँ मुमकिन है कि हर लफ़्ज़ बयाँ हो; कुछ परदे हो दरमियाँ ये भी तो लाज़मी है। |
तलब उठती है बार-बार तेरे दीदार की, ना जाने देखते देखते कब तुम लत बन गए। |