प्यार की तरह आधा अधूरा सा अल्फाज था मैं; तुमसे क्या जुडा ज़िंदगी की तरह पूरी गजल बन गया। |
मेरी यादों में तुम हो, या मुझ में ही तुम हो; मेरे खयालों में तुम हो, या मेरा ख़याल ही तुम हो। |
सुना है प्यार में मुश्किल नहीं कुछ भी; चलो समंदर में आग लगा कर आज़माते हैं। |
ज़िंदा रहे तो हर दिन तुम्हें याद करते रहेंगे; भूल गए तो समझ लेना खुदा ने हमें याद कर लिया। |
वो मुलाक़ात कुछ अधूरी सी लगी; पास होकर भी कुछ दूरी सी लगी; होंठों पे हँसी आँखों में नमी; पहली बार किसी की चाहत ज़रूरी सी लगी। |
आँखों में बस बसी है सूरत आपकी; दिल में छुपी है मूरत आपकी; महसूस होता है जीने के लिए; हमें तो बस है ज़रूरत आपकी। |
दो कदम चलने के लिए साथ माँगा है; बस पल दो पल के लिए प्यार माँगा है; हम समझते हैं उसकी मज़बूरियों को; इसलिए उसे उसकी मज़बूरियों के साथ माँगा है। |
दो बातें उनसे की तो दिल का दर्द खो गया; लोगों ने हमसे पूछा कि तुम्हें क्या हो गया; बेकरार आँखों से सिर्फ हँस के रह गए; ये भी ना कह सके कि हमें प्यार हो गया। |
चलो उसका नही तो खुदा का एहसान लेते हैं; वो मिन्नत से ना माना तो मन्नत से मांग लेते हैं। |
तेरा अंदाज़-ए-सँवरना भी क्या कमाल है; तुझे देखूं तो दिल धड़के, ना देखूं तो बेचैन रहूँ। |