एक ही बात सीखी है रंगों से; ग़र निखरना है तो बिखरना ज़रूरी है! |
बरसो बाद आज, तेरे करीब से गुज़रे; जो न संभलते, तो गुज़र ही जाते! |
मेरे शहर में खुदाओं की कमी नहीं, दिक्कत मुझे इंसान ढूँढने में होती है। |
फुर्सत मिली तो तुझ पर भी एक कलाम लिखेंगे, कभी आना मेरे शहर एक शाम तुम्हारे नाम लिखेंगे! |
हर रिश्ते में अमृत बरसेगा, शर्त इतनी है कि; शरारतें करो पर, साजिशे नहीं! |
वो आ के पहलू में ऐसे बैठे, के शाम रंगीन हो गयी है, ज़रा-ज़रा-सी खिली तबीयत, ज़रा-सी ग़मगीन हो गयी है! |
लफ़्ज़ों के भी ज़ायक़े होते हैं, परोसने से पहले चख भी लेना चाहिए! |
दिल का दर्द छुपाना कितना मुश्किल है, ग़म में मुस्कुराना कितना मुश्किल है, दूर तक जब चलो किसी के साथ, फिर तन्हा लौट के आना कितना मुश्किल है। |
साहेब अब ये ना पूछना की अल्फाज कहा से लाता हूँ; कुछ चुराता हूँ दर्द दूसरों के, कुछ अपनी सुनाता हूँ! |
शौक-ए-आज़माइश भी एक रोग है; लग जाए तो रिश्तों को किश्तों से गुजरना पड़ता है! |