मैं तो इस वास्ते चुप हूँ की तमाशा ना बने, और तू समझता है मुझे तुझसे कोई गिला नहीं! |
छुपकर मेरी नज़र से गुज़र जाईये मगर; बचकर मेरे ख्याल से किधर जाईयेगा! |
ऐसा ना हो तुझको भी दीवाना बना डाले, तन्हाई में खुद अपनी तस्वीर न देखा कर। |
कभी दो शब्द प्यार के तुम भी लिख दिया करो जनाब, हमें लिखना ही नही पढ़ना भी खूब आता है। |
रिश्तों में झुकना कोई अजीब बात नही है साहब, सूरज भी तो ढल जाता है चाँद के लिए। |
ढूंढते हो तुम वहां जहां मेरा निशां भी नहीं बाकी; कभी खुद मे खोजना मुझको बस वहीं बाकी हूँ मैं! |
खुदा ने भी बड़े अजीब से दिल के रिश्ते बनाएँ हैं; सब से ज्यादा वही रोया, जिस ने यह इमान्दारी से निभाएँ हैं! |
होंठो ने तेरा ज़िक्र न किया पर मेरी आंखे तुझे पैग़ाम देती है; हम दुनियाँ से तुझे छुपाएँ कैसे मेरी हर शायरी तेरा ही नाम लेती है! |
एक तुम हो कि वफा तुमसे न होगी, न हुई, एक हम कि तकाजा न किया है, न करेंगे। |
बरसात में जो ग़म भीग जाते हैं; मैं धूप में उन्हें सुखाता रहता हूँ! |