गिला शिकवा Hindi Shayari

  • उँगलियाँ मेरी वफ़ा पर न उठाना लोगो,<br/>
जिसको शक हो वो मुझसे निबाह कर देखे।
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    उँगलियाँ मेरी वफ़ा पर न उठाना लोगो,
    जिसको शक हो वो मुझसे निबाह कर देखे।
  • देख कर मेरी आँखें, एक फकीर कहने लगा;<br/>
पलकें तुम्हारी नाज़ुक है खवाबों का वज़न कम कीजिये!
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    देख कर मेरी आँखें, एक फकीर कहने लगा;
    पलकें तुम्हारी नाज़ुक है खवाबों का वज़न कम कीजिये!
  • मैंने हवा के शौक में खोली थी खिड़कियां,<br/>
पर तेरी यादों का धुआँ मेरे घर में आ गया!Upload to Facebook
    मैंने हवा के शौक में खोली थी खिड़कियां,
    पर तेरी यादों का धुआँ मेरे घर में आ गया!
  • बचपन में सोचता था चाँद को छू लूँ,<br/>
आपको देखा वो ख्वाहिश जाती रही।
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    बचपन में सोचता था चाँद को छू लूँ,
    आपको देखा वो ख्वाहिश जाती रही।
  • मोहब्बत ऐसी थी कि उनको बताई न गयी,<br/>
चोट दिल पर थी इसलिए दिखाई न गयी,<br/>
चाहते नहीं थे उनसे दूर होना पर,<br/>
दूरी इतनी थी कि मिटाई न गयी।
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    मोहब्बत ऐसी थी कि उनको बताई न गयी,
    चोट दिल पर थी इसलिए दिखाई न गयी,
    चाहते नहीं थे उनसे दूर होना पर,
    दूरी इतनी थी कि मिटाई न गयी।
  • तुम कितने दूर हो मुझसे मैं कितना पास हूँ तुमसे,<br/>
तुम्हें पाना भी नामुमकिन तुम्हें खोना भी नामुमकिन।
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    तुम कितने दूर हो मुझसे मैं कितना पास हूँ तुमसे,
    तुम्हें पाना भी नामुमकिन तुम्हें खोना भी नामुमकिन।
  • नजाकत तो देखिये, की सूखे पत्ते ने डाली से कहा,<br/>
चुपके से अलग करना वरना, लोगो का रिश्तों से भरोसा उठ जायेगा!Upload to Facebook
    नजाकत तो देखिये, की सूखे पत्ते ने डाली से कहा,
    चुपके से अलग करना वरना, लोगो का रिश्तों से भरोसा उठ जायेगा!
  • क्यों चाँदनी रातों में दरिया पे नहाते हो,<br/>
सोये हुए पानी में क्या आग लगानी है।Upload to Facebook
    क्यों चाँदनी रातों में दरिया पे नहाते हो,
    सोये हुए पानी में क्या आग लगानी है।
  • तेरे ग़म ने ही संभाला है दिल को;<br/>
वरना निकल गई हर हसरत होती;<br/>
मेरे दिल में अगर तेरी चाहत ना होती;<br/>
हर शख्स से मुझे फिर नफ़रत होती!Upload to Facebook
    तेरे ग़म ने ही संभाला है दिल को;
    वरना निकल गई हर हसरत होती;
    मेरे दिल में अगर तेरी चाहत ना होती;
    हर शख्स से मुझे फिर नफ़रत होती!
  • जाँ-ब-लब ठहरी अब तो प्यारे मेरे;<br/>
तेरी इन निगाहों ने होश सँभाले मेरे;<br/>
हर शाम को होती हैं यही खवाहिशें;<br/>
आ बैठोगे तुम दिल के किनारे मेरे!Upload to Facebook
    जाँ-ब-लब ठहरी अब तो प्यारे मेरे;
    तेरी इन निगाहों ने होश सँभाले मेरे;
    हर शाम को होती हैं यही खवाहिशें;
    आ बैठोगे तुम दिल के किनारे मेरे!