किसी के ज़ख्म का मरहम, किसी के ग़म का ईलाज; लोगों ने बाँट रखा है मुझे, दवा की तरह। |
अक्सर वो फैंसले मेरे हक़ में गलत हुए; जिन फैंसलों के नीचे तेरे दस्तखत हुए! |
फ़क्र ये कि तुम मेरे हो; फ़िक्र ये कि पता नहीं कब तक। |
ताल्लुक़ टूट कर बाद में जो कुछ भी रह गये; मगर मोहब्बत में वो पहला मुस्कुराना हमेशा याद आता है! |
क्यों तुझे पाने के लिये मिन्नते करूँ; मुझे तुझसे मोहब्बत है कोई मतलब तो नहीं! |
मुझे खामोश़ देख कर इतना क्यों हैरान होते हो ऐ दोस्तो; कुछ नहीं हुआ है बस भरोसा करके धोखा खाया है! |
लाख समझाया उसे ना मिला करो गैरों से; वो हस कर कहने लगे तुम भी तो पहले गैर थे! |
तन्हाई की यह कुछ ऐसी अजब रात है; तुझसे जुडी हुई हर याद मेरे साथ है; तड़प रहा है तनहा चाँद बिना चांदनी के; इस अंधेरी रात में आज कुछ और बात है! |
बहुत मशरूफ हो शायद, जो हम को भूल बैठे हो; न ये पूछा कहाँ पे हो, न यह जाना कि कैसे हो! |
ज़मीन पर मेरा नाम वो लिखते और मिटाते हैं; वक्त उनका तो गुजर जाता है, मिट्टी में हम मिल जाते हैं! |