प्यार वो हम को बेपनाह कर गये; फिर ज़िंदगी में हम को तन्हा कर गये; चाहत थी उनके इश्क में फ़नाह होने की; पर वो लौट कर आने को भी मना कर गये! |
अगर हमारी उल्फतों से तंग आ जाओ तो बता देना; हमें नफरत तो गवारा है मगर दिखावे की मोहब्बत नहीं! |
तकलीफें तो हज़ारों हैं इस ज़माने में; बस कोई अपना नज़र अंदाज़ करे तो बर्दाश्त नहीं होता! |
उनकी अपनी मरजी हो, तो वो हमसे बात करते है; और हमारा पागलपन देखो क़ि सारा दिन उनकी मरजी का इंतजार करते है! |
बड़ा फर्क है, तेरी और मेरी मोहब्बत में; आप परखते रहे, और हमने ज़िंदगी यकीन में गुजार दी! |
वो पहले सा कहीं, मुझको कोई मंज़र नहीं लगता; यहाँ लोगों को देखो, अब ख़ुदा का डर नहीं लगता! |
ये रस्म, ये रिवाज, ये कारोबार वफ़ाओं का सब छोड़ आना तुम; मेरे बिखरने से जरा पहले लौट आना तुम। |
यूँ तो सिखाने को जिंदगी बहुत कुछ सिखाती है; मगर झूठी हँसी हँसने का हुनर तो मोहब्बत ही सिखाती है। |
ऐ चाँद जा, क्यों आया है अब मेरी चौखट पर; छोड़ गया है वो शख्स, जिसकी याद में तुम्हें देखा करते थे। |
तुम मुझे हँसी-हँसी में खो तो दोगे, पर याद रखना फिर आंसुओं में ढ़ूंढ़ोगे। |