दर्द-ए-दिल कितना पसंद आया उसे; मैंने जब की आह उस ने वाह की! |
मेरी आँखें और दीदार आप का; या क़यामत आ गई या ख़्वाब है! |
ऐ जुनूँ फिर मिरे सर पर वही शामत आई; फिर फँसा ज़ुल्फ़ों में दिल फिर वही आफ़त आई! |
दिल दिया जिस ने किसी को वो हुआ साहेब-ए-दिल; हाथ आ जाती है खो देने से दौलत दिल की! |