ये पानी ख़ामोशी से बह रहा है; इसे देखें कि इस में डूब जाएँ! |
घूम रहा हूँ तेरे ख़्यालों में; तुझ को आवाज़ उम्र भर दी है! |
पानी में अक्स और किसी आसमाँ का है; ये नाव कौन सी है ये दरिया कहाँ का है! |
अब उस की शक्ल भी मुश्किल से याद आती है; वो जिस के नाम से होते न थे जुदा मेरे लब। |