Aish Dehlvi Hindi Shayari

  • मैं बुरा ही सही भला न सही,
    पर तेरी कौन सी जफ़ा न सही;

    दर्द-ए-दिल हम तो उन से कह गुज़रे,
    गर उन्हों ने नहीं सुना न सही;

    शब-ए-ग़म में बला से शुग़ल तो है,
    नाला-ए-दिल मेरा रसा न सही;

    दिल भी अपना नहीं रहा न रहे,
    ये भी ऐ चर्ख़-ए-फ़ित्ना-ज़ा न सही;

    देख तो लेंगे वो अगर आए,
    ताक़त-ए-अर्ज़-ए-मुद्दआ न सही;

    कुछ तो आशिक़ से छेड़-छाड़ रही;
    कज-अदाई सही अदा न सही;

    क्यूँ बुरा मानते हो शिकवा मेरा,
    चलो बे-जा सही ब-जा न सही;

    उक़दा-ए-दिल हमारा या क़िस्मत,
    न खुला तुझ से ऐ सबा न सही;

    वाइज़ो बंद-ए-ख़ुदा तो है 'ऐश',
    हम ने माना वो पारसा न सही।
    ~ Aish Dehlvi
  • मैं बुरा ही सही भला न सही;
    पर तेरी कौन सी जफ़ा न सही;

    दर्द-ए-दिल हम तो उन से कह गुज़रे;
    गर उन्हों ने नहीं सुना न सही;

    शब-ए-ग़म में बला से शुग़ल तो है;
    नाला-ए-दिल मेरा रसा न सही;

    दिल भी अपना नहीं रहा न रहे;
    ये भी ऐ चर्ख़-ए-फ़ित्ना-ज़ा न सही;

    क्यूँ बुरा मानते हो शिकवा मेरा;
    चलो बे-जा सही ब-जा न सही;

    उक़दा-ए-दिल हमारा या क़िस्मत;
    न खुला तुझ से ऐ सबा न सही;

    वाइज़ो बंद-ए-ख़ुदा तो है 'ऐश';
    हम ने माना वो पारसा न सही।
    ~ Aish Dehlvi