जिस तरफ़ तू है उधर होंगी सभी की नज़रें; ईद के चाँद का दीदार बहाना ही सही! |
फिर निगाहों में धूल उड़ती है; अक्स फिर आइने बदलने लगे! |
कहाँ आ के रुकने थे रास्ते कहाँ मोड़ था उसे भूल जा; वो जो मिल गया उसे याद रख जो नहीं मिला उसे भूल जा; वो तेरे नसीब की बारिशें किसी और छत पे बरस गई; दिल-ए-मुंतज़िर मेरी बात सुन उसे भूल जा उसे भूल जा। |
अपने घर की खिड़की से मैं आसमान को देखूँगा; जिस पर तेरा नाम लिखा है उस तारे को ढूँढूँगा; तुम भी हर शब दिया जला कर पलकों की दहलीज़ पर रखना; मैं भी रोज़ एक ख़्वाब तुम्हारे शहर की जानिब भेजूँगा। |
कहाँ आ के रुकने थे रास्ते कहाँ मोड़ था उसे भूल जा; वो जो मिल गया उसे याद रख जो नहीं मिला उसे भूल जा; वो तेरे नसीब की बारिशें किसी और छत पे बरस गईं; दिल-ए-मुंतज़िर मेरी बात सुन उसे भूल जा उसे भूल जा। अनुवाद: दिल-ए-मुंतज़िर = इंतज़ार करने वाला दिल |
कहाँ आ के रुकने थे रास्ते कहाँ मोड़ था उसे भूल जा; वो जो मिल गया उसे याद रख जो नहीं मिला उसे भूल जा; वो तेरे नसीब की बारिशें किसी और छत पे बरस गई; दिल-ए-मुंतज़िर मेरी बात सुन उसे भूल जा उसे भूल जा। |