Anwar Allahabadi Hindi Shayari

  • नसीम-ए-सुबह बू-ए-गुल से क्या इतराती फिरती है,<br/>
जरा सूंघ-ए-शमीम-ए-जुल्फ खुश्बू इसको कहते हैं।<br/><br/>

1. नसीम-ए-सुबह - सुबह चलने वाली ठंडी और धीमी हवा<br/>
2. शमीम - सुगन्ध, खुश्बू, महकUpload to Facebook
    नसीम-ए-सुबह बू-ए-गुल से क्या इतराती फिरती है,
    जरा सूंघ-ए-शमीम-ए-जुल्फ खुश्बू इसको कहते हैं।

    1. नसीम-ए-सुबह - सुबह चलने वाली ठंडी और धीमी हवा
    2. शमीम - सुगन्ध, खुश्बू, महक
    ~ Anwar Allahabadi