बहाना मिल न जाए बिजलियों को टूट पड़ने का; कलेजा काँपता है आशियाँ को आशियाँ कहते! *आशियाँ: घर |
दिल को बर्बाद किये जाती है गम बदस्तूर किये जाती है; मर चुकीं सारी उम्मीदें, आरजू है कि जिये जाती है! बदस्तूर = पहले की तरह, यथावत, यथापूर्व |
उनके आने की बंधी थी आस जब तक हमनशीं; सुबह हो जाती थी अक्सर जानिब-ए-दर देखते। |
किसी के काम न जो आए वह आदमी क्या है; जो अपनी ही फिक्र में गुजरे, वह जिन्दगी क्या है। |
इधर से आज वो गुज़रे तो मुँह फेरे हुए गुज़रे; अब उन से भी हमारी बे-कसी देखी नहीं जाती। |
अच्छा है डूब जाये सफीना हयात का; उम्मीदो-आरजूओं का साहिल नहीं रहा। अनुवाद: सफीना = नाव हयात = ज़िंदगी साहिल = किनारा |
कुछ रोज़ यह भी रंग रहा तेरे इंतज़ार का; आँख उठ गई जिधर बस उधर देखते रहे। |