Hanif Sagar Hindi Shayari

  • बात बनती नहीं ऐसे हालात में,
    मैं भी जज़्बात में, तुम भी जज़्बात में;

    कैसे सहता है मिलके बिछडने का ग़म,
    उससे पूछेंगे अब के मुलाक़ात में;

    मुफ़लिसी और वादा किसी यार का,
    खोटा सिक्का मिले जैसे ख़ैरात में;

    जब भी होती है बारिश कही ख़ून की,
    भीगता हूं सदा मैं ही बरसात में;

    मुझको किस्मत ने इसके सिवा क्या दिया,
    कुछ लकीरें बढा दी मेरे हाथ में;

    ज़िक्र दुनिया का था, आपको क्या हुआ,
    आप गुम हो गए किन ख़यालात में;

    दिल में उठते हुए वसवसों के सिवा,
    कौन आता है 'साग़र' सियह रात में।
    ~ Hanif Sagar