हम भी वहीं मौजूद थे हम से भी सब पूछा किए, हम हँस दिए हम चुप रहे मंज़ूर था पर्दा तेरा; इस शहर में किस से मिलें हम से तो छूटीं महफ़िलें, हर शख़्स तेरा नाम ले हर शख़्स दीवाना तेरा! |
कल चौदहवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तेरा; कुछ ने कहा ये चाँद है कुछ ने कहा चेहरा तेरा! |
दिल हिज्र के दर्द से बोझल है अब आन मिलो तो बेहतर हो; इस बात से हम को क्या मतलब ये कैसे हो ये क्यूँकर हो! |
इक साल गया इक साल नया है आने को; पर वक़्त का अब भी होश नहीं दीवाने को! |