जिगर की आग बुझे जिससे जल्द वो शय ला, लगा के बर्फ़ में साक़ी, सुराही-ए-मय ला। |
झूठा निकला क़रार तेरा; अब किसको है ऐतबार तेरा; दिल में सौ लाख चुटकियाँ लीं; देखा बस हम ने प्यार तेरा; दम नाक में आ रहा था अपने; था रात ये इंतिज़ार तेरा; कर ज़बर जहाँ तलक़ तू चाहे; मेरा क्या, इख्तियार तेरा; लिपटूँ हूँ गले से आप अपने; समझूँ कि है किनार तेरा; "इंशा" से मत रूठ, खफा हो; है बंदा जानिसार तेरा। |
छेड़ने का तो मज़ा तब है कहो और सुनो; बात में तुम तो ख़फ़ा हो गये, लो और सुनो; तुम कहोगे जिसे कुछ, क्यूँ न कहेगा तुम को; छोड़ देवेगा भला, देख तो लो, और सुनो; यही इंसाफ़ है कुछ सोचो तो अपने दिल में; तुम तो सौ कह लो, मेरी एक न सुनो और सुनो; आफ़रीं तुम पे, यही चाहिए शाबाश तुम्हें; देख रोता मुझे यूँ हँसने लगो और सुनो; बात मेरी नहीं सुनते जो अकेले मिल कर; ऐसे ही ढँग से सुनाऊँ के सुनो और सुनो। |
झूठा निकला क़रार तेरा; अब किसको है ऐतबार तेरा; दिल में सौ लाख चुटकियाँ लीं; देखा बस हम ने प्यार तेरा; दम नाक में आ रहा था अपने; था रात ये इंतिज़ार तेरा; कर ज़बर जहाँ तलक़ तू चाहे; मेरा क्या, इख्तियार तेरा; लिपटूँ हूँ गले से आप अपने; समझूँ कि है किनार तेरा; 'इंशा' से मत रूठ, खफा हो; है बंदा जानिसार तेरा। |
झूठा निकला... झूठा निकला क़रार तेरा; अब किसको है ऐतबार तेरा; दिल में सौ लाख चुटकियाँ लीं; देखा बस हम ने प्यार तेरा; दम नाक में आ रहा था अपने; था रात ये इंतज़ार तेरा; कर ज़बर जहाँ तलक़ तू चाहे; मेरा क्या, इख्तियार तेरा; लिपटूँ हूँ गले से आप अपने; समझूँ कि है किनार तेरा; 'इंशा' से मत रूठ, खफा हो; है बंदा जानिसार तेरा। |
झूठा निकला... झूठा निकला क़रार तेरा; अब किसको है ऐतबार तेरा ; दिल में सौ लाख चुटकियाँ लीं; देखा बस हम ने प्यार तेरा; दम नाक में आ रहा था अपने; था रात ये इंतज़ार तेरा; कर ज़बर जहाँ तलक़ तू चाहे; मेरा क्या, इख्तियार तेरा; लिपटूँ हूँ गले से आप अपने; समझूँ कि है किनार तेरा; 'इंशा' से मत रूठ, खफा हो; है बंदा जानिसार तेरा। |
अजीब लुत्फ़ कुछ आपस की छेड़-छाड़ में है; कहाँ मिलाप में वो बात जो बिगाड़ में है। |
झूठा निकला क़रार तेरा... झूठा निकला क़रार तेरा; अब किसको है ऐतबार तेरा; दिल में सौ लाख चुटकियाँ लीं; देखा बस हम ने प्यार तेरा; दम नाक में आ रहा था अपने; था रात से इंतज़ार तेरा; कर ज़बर जहाँ तलक़ तू चाहे; मेरा क्या, इख्तियार तेरा; लिपटूँ हूँ गले से आप अपने; समझूँ कि है किनार तेरा; 'इंशा' से मत रूठ, खफा हो; है बंदा जानिसार तेरा। |