Khurshid Talab Hindi Shayari

  • रोज़ दीवार में चुन देता हूँ मैं अपनी अना;</br>
रोज़ वो तोड़ के दीवार निकल आती है!</br></br>
*अना: मैं, अहमUpload to Facebook
    रोज़ दीवार में चुन देता हूँ मैं अपनी अना;
    रोज़ वो तोड़ के दीवार निकल आती है!

    *अना: मैं, अहम
    ~ Khurshid Talab