Majeed Amjad Hindi Shayari

  • दिल ने एक एक दुख सहा तनहा,
    अंजुमन अंजुमन रहा तन्हा;

    ढलते सायों में तेरे कूचे से,
    कोई गुज़रा है बारहा तन्हा;

    तेरी आहट क़दम क़दम और मैं,
    इस मइयत में भी रहा तन्हा;

    कहना यादों के बर्फ़-ज़ारों से,
    एक आँसू बहा बहा तनहा;

    डूबते साहिलों के मोड़ पे दिल,
    इक खंडर सा रहा सहा तन्हा;

    गूँजता रह गया ख़लाओं में;
    वक़्त का एक क़हक़हा तन्हा।
    ~ Majeed Amjad
  • और अब ये कहता हूँ ये जुर्म तो रवा रखता;
    मैं उम्र अपने लिए भी तो कुछ बचा रखता।
    ~ Majeed Amjad
  • बढ़ी जो हद से तो सारे तिलिस्म तोड़ गयी;
    वो खुश दिली जो दिलों को दिलों से जोड़ गयी;
    अब्द की राह पे बे-ख्वाब धड़कनों की धमक;
    जो सो गए उन्हें बुझते जगो में छोड़ गयी।
    ~ Majeed Amjad
  • कभी तो सोच तेरे सामने नहीं गुज़रे;
    वो सब समय जो तेरे ध्यान से नहीं गुज़रे;
    ये और बात है कि उनके दरमियाँ मैं भी;
    ये वाकिये किसी तकरीब से नहीं गुज़रे।
    ~ Majeed Amjad