अंदाज़ अपना देखते हैं आइने में वो; और ये भी देखते हैं कोई देखता न हो! |
अंगड़ाई भी वो लेने न पाए उठा के हाथ; देखा जो मुझ को छोड़ दिए मुस्कुरा के हाथ! |
है ख़ुशी इंतज़ार की हर दम, मैं ये क्यों पूछूं कब मिलेंगे आप। |
टूटे हुए दिलों की... टूटे हुए दिलों की दुआ मेरे साथ है; दुनिया तेरी तरफ है ख़ुदा मेरे साथ है; आवाज़ घुंघरुओं की नहीं है तो क्या हुआ; सागर के टूटने की सदा मेरे साथ है; तन्हाई किस को कहते हैं मुझ को पता नहीं; क्या जाने किस हसीं की दुआ मेरे साथ है; पैमाना सामने है तो कुछ ग़म नहीं निज़ाम; अब दर्द-ए-दिल की कोई दवा मेरे साथ है। |
शायद कि इधर आके कोई लौट गया है; बेताबी से यूं मुंह को कलेजा नहीं आता। |