Noshi Gilani Hindi Shayari

  • अब किस से कहें और कौन सुने जो हाल तुम्हारे बाद हुआ;
    इस दिल की झील सी आँखों में इक ख़्वाब बहुत बर्बाद हुआ;

    ये हिज्र-हवा भी दुश्मन है इस नाम के सारे रंगों की;
    वो नाम जो मेरे होंटों पे ख़ुशबू की तरह आबाद हुआ;

    उस शहर में कितने चेहरे थे कुछ याद नहीं सब भूल गए;
    इक शख़्स किताबों जैसा था वो शख़्स ज़बानी याद हुआ;

    वो अपने गाँव की गलियाँ थी दिल जिन में नाचता गाता था;
    अब इस से फ़र्क नहीं पड़ता नाशाद हुआ या शाद हुआ;

    बेनाम सताइश रहती थी इन गहरी साँवली आँखों में;
    ऐसा तो कभी सोचा भी न था अब जितना बेदाद हुआ।
    ~ Noshi Gilani
  • मुँह की बात सुने हर कोई दिल के दर्द को जाने कौन;
    आवाजों के बाज़ारों में ख़ामोशी पहचाने कौन;
    सदियों सदियों वही तमाशा रस्ता रस्ता लम्बी खोज;
    लेकिन जब हम मिल जाते हैं खो जाता है जाने कौन।
    ~ Noshi Gilani
  • तुझ से अब और मोहब्बत...

    तुझ से अब और मोहब्बत नहीं की जा सकती;
    ख़ुद को इतनी भी अज़िय्यत नहीं दी जा सकती;

    जानते हैं कि यक़ीं टूट रहा है दिल पर;
    फिर भी अब तर्क ये वहशत नहीं की जा सकती;

    हवस का शहर है और उस में किसी भी सूरत;
    साँस लेने की सहूलत नहीं दी जा सकती;

    रौशनी के लिए दरवाज़ा खुला रखना है;
    शब से अब कोई इजाज़त नहीं ली जा सकती;

    इश्क़ ने हिज्र का आज़ार तो दे रखा है;
    इस से बढ़ कर तो रिआयत नहीं दी जा सकती।
    ~ Noshi Gilani
  • तुझ से अब और मोहब्बत नहीं की जा सकती;
    ख़ुद को इतनी भी अज़िय्यत नहीं दी जा सकती;

    जानते हैं कि यक़ीं टूट रहा है दिल पर;
    फिर भी अब तर्क ये वहशत नहीं की जा सकती;

    हब्स का शहर है और उस में किसी भी सूरत;
    साँस लेने की सहूलत नहीं दी जा सकती;

    रौशनी के लिए दरवाज़ा खुला रखना है;
    शब से अब कोई इजाज़त नहीं ली जा सकती;

    इश्क़ ने हिज्र का आज़ार तो दे रक्खा है;
    इस से बढ़ कर तो रिआयत नहीं दी जा सकती।
    ~ Noshi Gilani
  • यह हम ही जानते हैं जुदाई के मोड़ पर;
    इस दिल का जो भी हाल तुझे देख कर हुआ।
    ~ Noshi Gilani
  • ये दिल भुलाता नहीं है मोहब्बतें उसकी;
    पड़ी हुई थी मुझे कितनी आदतें उसकी;
    ये मेरा सारा सफर उसकी खुशबू में कटा;
    मुझे तो राह दिखाती थी चाहतें उसकी।
    ~ Noshi Gilani
  • ये नाम मुमकिन रहेगा मक़ाम मुमकिन नहीं रहेगा;
    ग़ुरूर लहजे में आ गया तो कलाम मुमकिन नहीं रहेगा;

    ये बर्फ़-मौसम जो शहर-ए-जाँ में कुछ और लम्हे ठहर गया तो;
    लहू का दिल की किसी गली में क़याम मुमकिन नहीं रहेगा;

    तुम अपनी साँसों से मेरी साँसे अलग तो करने लगे हो लेकिन;
    जो काम आसाँ समझ रहे हो वो काम मुमकिन नहीं रहेगा;

    वफ़ा का काग़ज़ तो भीग जाएगा बद-गुमानी की बारिशों में;
    ख़तों की बातें ख़्वाब होंगी पयाम मुमकिन नहीं रहेगा;

    ये हम मोहब्बत में ला-तअल्लुक़ से हो रहे हैं तू देख लेना;
    दुआएँ तो ख़ैर कौन देगा सलाम मुमकिन नहीं रहेगा।
    ~ Noshi Gilani
  • तुमने तो कह दिया कि...

    तुमने तो कह दिया कि मोहब्बत नहीं मिली;
    मुझको तो ये भी कहने की मोहलत नहीं मिली;

    नींदों के देस जाते, कोई ख्वाब देखते;
    लेकिन दिया जलाने से फुरसत नहीं मिली;

    तुझको तो खैर शहर के लोगों का खौफ था;
    और मुझको अपने घर से इजाज़त नहीं मिली;

    फिर इख्तिलाफ-ए-राय की सूरत निकल पडी;
    अपनी यहाँ किसी से भी आदत नहीं मिली;

    बे-जार यूं हुए कि तेरे अहद में हमें;
    सब कुछ मिला, सुकून की दौलत नहीं मिली।
    ~ Noshi Gilani
  • इश्क़ करो तो ये भी सोचो...

    इश्क़ करो तो ये भी सोचो अर्ज़-ए-सवाल से पहले;
    हिज्र की पूरी रात आती है सुब्ह-ए-विसाल से पहले;

    दिल का क्या है दिल ने कितने मंज़र देखे लेकिन;
    आँखें पागल हो जाती है एक ख़याल से पहले;

    किस ने रेत उड़ाई शब में आँखें खोल के रखी;
    कोई मिसाल तो होना उस की मिसाल से पहले;

    कार-ए-मोहब्बत एक सफ़र है इस में आ जाता है;
    एक ज़वाल-आसार सा रस्ता बाब-ए-कमाल से पहले;

    इश्क़ में रेशम जैसे वादों और ख़्वाबों का रस्ता;
    जितना मुमकिन हो तय कर लें गर्द-ए-मलाल से पहले।
    ~ Noshi Gilani
  • अब किस से कहें और कौन सुने जो हाल तुम्हारे बाद हुआ;
    इस दिल की झील सी आँखों में एक ख़्वाब बहुत बर्बाद हुआ;
    यह हिज्र-हवा भी दुश्मन है उस नाम के सारे रंगों की;
    वो नाम जो मेरे होंठों पर खुशबू की तरह आबाद हुआ।
    ~ Noshi Gilani