Qamar Naqvi Hindi Shayari

  • फिर से तेरे नुक़ूश नज़र पे अयाँ हुए;<br/>
लो फिर विसाल-ए-यार के लम्हे जवाँ हुए!<br/><br/>
*नुक़ूश: रेखाएँ<br/>
*अयाँ: स्पष्ट, प्रत्यक्षUpload to Facebook
    फिर से तेरे नुक़ूश नज़र पे अयाँ हुए;
    लो फिर विसाल-ए-यार के लम्हे जवाँ हुए!

    *नुक़ूश: रेखाएँ
    *अयाँ: स्पष्ट, प्रत्यक्ष
    ~ Qamar Naqvi