Rahat Induri Hindi Shayari

  • सूरज, सितारे, चाँद मेरे साथ में रहे;
    जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहे;
    शाखों से जो टूट जाये वो पत्ते नही है हम;
    आंधी से कोई कह दे कि औकात में रहे।
    ~ Rahat Induri
  • उँगलियाँ यूँ न सब पर...

    उँगलियाँ यूँ न सब पर उठाया करो;
    खर्च करने से पहले कमाया करो;

    ज़िन्दगी क्या है खुद ही समझ जाओगे;
    बारिशों में पतंगें उड़ाया करो;

    दोस्तों से मुलाक़ात के नाम पर;
    नीम की पत्तियों को चबाया करो;

    शाम के बाद जब तुम सहर देख लो;
    कुछ फ़क़ीरों को खाना खिलाया करो;

    अपने सीने में दो गज़ ज़मीं बाँधकर;
    आसमानों का ज़र्फ़ आज़माया करो;

    चाँद सूरज कहाँ, अपनी मंज़िल कहाँ;
    ऐसे वैसों को मुँह मत लगाया करो।
    ~ Rahat Induri
  • किसी के बाप का...

    अगर ख़िलाफ़ हैं होने दो भगवान थोडे ही है;
    ये सब धुआँ है कोई आसमान थोडे ही है;

    लगेगी आग तो आएँगे घर कई लपेट में;
    यहाँ पे सिर्फ़ हमारा मकान थोडे ही है;

    मैं जानता हूँ के दुश्मन भी कम नहीं लेकिन;
    हमारी तरह हथेली पे उनकी जान थोडे ही है;

    हमारे मुँह से जो निकले वही सदाक़त है;
    हमारे मुँह में तुम्हारी ज़ुबान थोडे ही है;

    जो आज मालिक बने बैठे हैं कल नहीं होंगे;
    किराएदार हैं ज़ाती मकान थोडे ही है;

    सभी का ख़ून है शामिल यहाँ की मिट्टी में;
    किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोडे ही है।
    ~ Rahat Induri