Sajjad Baqar Rizvi Hindi Shayari

  • टूट पड़ती थीं घटाएँ जिन की आँखें देख कर;<br/>
वो भरी बरसात में तरसे हैं पानी के लिए!Upload to Facebook
    टूट पड़ती थीं घटाएँ जिन की आँखें देख कर;
    वो भरी बरसात में तरसे हैं पानी के लिए!
    ~ Sajjad Baqar Rizvi