Shakeb Jalali Hindi Shayari

  • आज भी शायद कोई फूलों का तोहफ़ा भेज दे;</br>
तितलियाँ मंडरा रही हैं काँच के गुल-दान पर!Upload to Facebook
    आज भी शायद कोई फूलों का तोहफ़ा भेज दे;
    तितलियाँ मंडरा रही हैं काँच के गुल-दान पर!
    ~ Shakeb Jalali
  • जाती है धूप उजले परों को समेट के;</br>
ज़ख़्मों को अब गिनूँगा मैं बिस्तर पे लेट के!Upload to Facebook
    जाती है धूप उजले परों को समेट के;
    ज़ख़्मों को अब गिनूँगा मैं बिस्तर पे लेट के!
    ~ Shakeb Jalali