Tabish Kamaal Hindi Shayari

  • अजब यक़ीन उस शख़्स के गुमान में था,
    वो बात करते हुए भी नई उड़ान में था;

    हवा भरी हुई फिरती थी अब के साहिल पर,
    कुछ ऐसा हौसला कश्ती के बादबाँ में था;

    हमारे भीगे हुए पर नहीं खुले वर्ना,
    हमें बुलाता सितारा तो आसमान में था;

    उतर गया है रग-ओ-पय में ज़ाइक़ा उस का,
    अजीब शहद सा कल रात उस ज़बान में था;

    खुली तो आँख तो 'ताबिश' कमाल ये देखा,
    वो मेरी रूह में था और मैं मकान में था।
    ~ Tabish Kamaal