Tanvir Anjum Hindi Shayari

  • कभी बहुत है कभी ध्यान तेरा कुछ कम है,
    कभी हवा है कभी आँधियों का मौसम है;

    अभी न तोड़ा गया मुझ से कै़द-ए-हस्ती को,
    अभी शराब-ए-जुनूँ का नशा भी मद्धम है;

    कि जैसे साथ तिरे ज़िंदगी गुज़रती हो,
    तिरा ख़याल मिरे साथ ऐसे पैहम है;

    तमाम फ़िक्र-ए-ज़मान-ओ-मकाँ से छूट गई,
    सियाह-कारी-ए-दिल मुझे को ऐसा मरहम है;

    मैं ख़ुद मुसाफ़िर-ए-दिल हूँ उसे न रोकुँगी,
    वो ख़ुद ठहर न सकेगा जो कै़दी-ए-ग़म है;

    वौ शौक़-ए-तेज़-रवी है कि देखता है जहाँ,
    ज़मीं पे आग लगी आसमान बरहम है।
    ~ Tanvir Anjum
  • कभी बहुत है कभी ध्यान तेरा कुछ कम है,
    कभी हवा है कभी आँधियों का मौसम है;

    अभी न तोड़ा गया मुझ से कै़द-ए-हस्ती को,
    अभी शराब-ए-जुनूँ का नशा भी मद्धम है;

    कि जैसे साथ तेरे ज़िंदगी गुज़रती हो,
    तेरा ख़याल मेरे साथ ऐसे पैहम है;

    तमाम फ़िक्र-ए-ज़मान-ओ-मकाँ से छूट गई,
    सियाह-कारी-ए-दिल मुझे को ऐसा मरहम है;

    मैं ख़ुद मुसाफ़िर-ए-दिल हूँ उसे न रोकुँगी,
    वो ख़ुद ठहर न सकेगा जो कै़दी-ए-ग़म है;

    वौ शौक़-ए-तेज़-रवी है कि देखता है जहाँ,
    ज़मीं पे आग लगी आसमान बरहम है।
    ~ Tanvir Anjum