मेरी बस इतनी सी ख्वाहिश है, तेरी कोई ख्वाहिश अधूरी ना रहे। |
रोज़ आ जाते हो तुम नींद की मुंडेरों पर, बादलों में छुपे एक ख़्वाब का मुखड़ा बन कर; खुद को फैलाओ कभी आसमाँ की बाँहों सा, तुम में घुल जाए कोई चाँद का टुकड़ा बन कर। |
बस इतना ही नीचा रखना मुझे, ए मेरे खूदा, कि हर दिल दुआ देने को मजबूर हो जाये। |
आये हो आँखों में तो कुछ देर तो ठहर जाओ, एक उम्र लग जाती है एक ख्वाब सजाने में। |
तेरी यादों के बिना ज़िंदगी अधूरी है, तू मिल जाये तो माने सोचें पूरी है, तेरे साथ जुडी हैं अब मेरी हर ख़ुशी, बाकी सब के साथ हँसना तो बस मजबूरी है। |
नही है ये ख्वाहिश कि इस जहान या उस जहान में पनाह मिले, बस इतना करम कर ऐ खुदा, कोई ऐसा मिले जिससे प्यार बेपनाह मिले। |
ख्वाहिश-ए-ज़िंदगी बस इतनी सी है अब मेरी, कि साथ तेरा हो और ज़िंदगी कभी खत्म न हो। |
काश फिर मिलने की वो वजह मिल जाए, साथ जितना भी बिताया वो पल मिल जाए; चलो अपनी अपनी आँखें बंद कर लेते हैं, क्या पता गुज़रा हुआ वो कल मिल जाए। |
एक आरज़ू है अगर पूरी परवरदिगार करे, मैं देर से जाऊं और वो मेरा इंतज़ार करे। |
बदलेंगे नहीं ज़ज़्बात मेरे तारीखों की तरह, बेपनाह इश्क़ करने की ख्वाहिश उम्र भर रहेगी। |