बड़ी मुश्किल में हूँ! मैं कैसे इज़हार करू! तुम तो खुशबु हो! तुमको कैसे कैद करू! |
कुछ लिख नहीं पाते, कुछ सुना नहीं पाते! हाल-ऐ-दिल जुबान पर ला नहीं पाते! वो उतर गए हैं दिल की गहराइयों में! वो समझ नहीं पाते और हम समझा नहीं पाते! |
मैंने जो सोचा वो कभी पाया नहीं! चाहकर भी मैं उसको भूल पाया नहीं! चाहता तो था मैं उसको अपनाना! पर मैंने उसको कभी ये बताया नहीं! |
इकरार में शब्दों की एहमियत नहीं होती! दिल के जज़्बात की आवाज़ नहीं होती! आँखें बयान कर देती है दिल की दास्तान! मोहब्बत लफ्जों की मोहताज नहीं होती! |
सिर्फ चाहने से कोई बात नहीं होती! सूरज के सामने कभी रात नहीं होती! हम चाहते है जिन्हें जान से भी ज्यादा! वो सामने है पर बात भी नहीं होती! |
दिल की आवाज़ को इज़हार कहते है! झुकी निगाह को इकरार कहते है! सिर्फ पाने का नाम इश्क नहीं! कुछ खोने को भी प्यार कहते है! |
खुद को खुद की खबर न लगे! कोई अच्छा भी इस कदर न लगे! आप को देखा है बस उस नज़र से! जिस नज़र से आप को नज़र न लगे! |