नवंबर की तरह हम भी अलविदा कह देंगें एक दिन, फिर ढूँढते फिरोगे हमें दिसंबर की सर्द रातों में। |
अल्फ़ाज़ के कुछ तो कंकर फ़ेंको, यहाँ झील सी गहरी ख़ामोशी है। |
किताबें भी बिल्कुल मेरी तरह हैं, अल्फ़ाज़ से भरपूर मगर ख़ामोश। |
दिल से पूछो तो आज भी तुम मेरे ही हो; ये ओर बात है कि किस्मत दग़ा कर गयी। |
अफसोस ये नहीं है कि दर्द कितना है, अफसोस तो ये है कि बस तुम्हें परवाह नहीं। |
मंज़िलों से गुमराह भी ,कर देते हैं कुछ लोग, हर किसी से रास्ता पूछना अच्छा नहीं होता। |
अच्छा है दिल के साथ रहे पासबान-ए-अक़्ल; लेकिन कभी कभी इसे तन्हा भी छोड़ दे। |
उनसे शिकवे और शिकायत इतनी है कि नजरें मिलाने को मन नही करता, और मोहब्बत इतनी कि दूर जाने को दिल नही करता। |
सब कुछ बदला बदला था जब बरसो बाद मिले; हाथ भी न थाम सके वो इतने पराये से लगे। |
वो हमारी एक खता पर हमसे कुछ इस कदर रूठ कर चल दिए, जैसे सदियों से उन्हें किसी बहाने की तलाश थी। |