रात को कह दो, कि जरा धीरे से गुजरे; काफी मिन्नतों के बाद, आज दर्द सो रहा है। |
छोड़ दिया मुझको आज मेरी मौत ने यह कह कर, हो जाओ जब ज़िंदा, तो ख़बर कर देना। |
जब तक था दम में दम न दबे आसमाँ से हम, जब दम निकल गया तो ज़मीं ने दबा लिया। |
चिलम को पता है अंगारों से आशिकी का अंजाम, दिल में धुआँ और दामन में बस राख ही रह जाएगी। |
नींद भी नीलाम हो जाती है बाजार-ए-इश्क़ में, इतना आसान भी नहीं किसी को भूल कर सो जाना। |
क़यामत के रोज़ फ़रिश्तों ने जब माँगा उससे ज़िन्दगी का हिसाब; ख़ुदा, खुद मुस्कुरा के बोला, जाने दो, 'मोहब्बत' की है इसने। |
तजुर्बा एक ही काफी था बयान करने के लिए, मैंने देखा ही नहीं इश्क़ दोबारा करके। |
आँखों की कतारों में पसरी नमी सी है, आज सब कुछ है ज़िन्दगी में बस तुम्हारी कमी सी है। |
धुआँ धुआँ जला था दिल धीमे धीमे गुबार उठा, राख के उस ढेर में बिखरा हुआ एक ख्वाब मिला। |
ना किया कर अपने दर्द को शायरी में ब्यान ऐ नादान दिल, कुछ लोग टूट जाते हैं इसे अपनी दास्तान समझकर। |