मेरी रूह गुलाम हो गई है तेरे इश्क़ में शायद, वरना यूँ छटपटाना मेरी आदत तो ना थी। |
अब ये न पूछना कि ये अल्फ़ाज़ कहाँ से लाता हूँ, कुछ चुराता हूँ दर्द दूसरों के, कुछ अपनी सुनाता हूँ। |
जीने की ख्वाहिश में हर रोज़ मरते हैं, वो आये न आये हम इंतज़ार करते हैं, झूठा ही सही मेरे यार का वादा है, हम सच मान कर ऐतबार करते हैं । |
नया कुछ भी नहीं हमदम, वही आलम पुराना है; तुम्हीं को भुलाने की कोशिशें, तुम्हीं को याद आना है। |
सुना है आज उस की आँखों मे आँसू आ गए, वो किसी को सिखा रही थी कि मोहब्बत कैसे लिखते है। |
पूछते है सब जब बेवफा था वो तो उसे दिल दिया ही क्यों था, किस किस को बतलाये कि उस शख्स में बात ही कुछ ऐसी थी कि दिल नहीं देते तो कमबख्त जान चली जाती। |
अधूरी मोहब्बत मिली तो नींदें भी रूठ गयी, गुमनाम ज़िन्दगी थी तो कितने सुकून से सोया करते थे। |
इश्क में इसलिए भी धोखा खानें लगें हैं लोग, दिल की जगह जिस्म को चाहनें लगे हैं लोग। |
मोहब्बत की मिसाल में बस इतना ही कहूँगा, बेमिसाल सज़ा है किसी बेगुनाह के लिए। |
महफिल में हँसना मेरा मिजाज बन गया, तन्हाई में मेरा रोना भी एक राज बन गया, दिल के दर्द को चेहरे से जाहिर न होने दिया, यही मेरे जीने का एक अंदाज़ बन गया। |