कभी ऐ हक़ीक़त-ए-मुंतज़र नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में; कि हज़ारों सज्दे तड़प रहे हैं मिरी जबीन-ए-नियाज़ में। |
हसरतें मचल गयी जब तुमको सोचा एक पल के लिए; सोचो दीवानगी तब क्या होगी,जब तुम मिलोगे मुझे उम्र भर के लिए। |
तेरी दुआ से कज़ा तो बदल नहीं सकती; मगर है इस से यह मुमकिन कि तू बदल जाये; तेरी दुआ है कि हो तेरी आरज़ू पूरी; मेरी दुआ है तेरी आरज़ू बदल जाये। शब्दार्थ: कज़ा - भाग्य |
तुम्हारी पसंद हमारी चाहत बन जाये; तुम्हारी मुस्कुराहट दिल की राहत बन जाये; खुदा खुशियों से इतना खुश कर दे आपको; कि आपको खुश देखना हमारी आदत बन जाये। |
यादों के भंवर में एक पल हमारा हो; खिलते चमन में एक गुल हमारा हो; जब याद करें आप अपने चाहने वालों को; उन नामों में बस एक नाम हमारा हो। |
उनके साथ जीने का एक मौका दे दे, ऐ खुदा; तेरे साथ तो हम मरने के बाद भी रह लेंगे। |
ए काश वो किसी दिन तनहाइयों में आयें; उनको ये राजे दिल हम महफ़िल में क्या बतायें; लगता है डर उन्हें तो हमराज़ लेके आयें; जो पूछना है पूछे, कहना है जो सुनाएँ। |
तेरे सीने से लगकर तेरी आरज़ू बन जाऊं; तेरी साँसों से मिलकर तेरी खुशबु बन जाऊं; फांसले ना रहें हम दोनों के दरमियान कोई; मैं, मैं ना रहूँ बस तू ही तू बन जाऊं। |
ज़िंदगी भर के लिए तेरा साथ निभाना चाहते हैं; तुम्हारी इन आँखों में सदा के लिए बस जाना चाहते हैं; चाहतें इस दिल की न जाने हमसे क्या-क्या चाहती हैं; नज़र भर तुम्हें देख कर, तुम पर मर जाना चाहते हैं। |
तेरे सीने से लगकर तेरी आरज़ू बन जाऊं; तेरी साँसों से मिलकर तेरी खुशबू बन जाऊं; फांसले न रहे कोई हम दोनों के दरमियान; मैं, मैं न रहूँ बस तू ही तू बन जाऊं। |