उसने हमसे पूछा तेरी रज़ा क्या है; क्यों करते हो पसंद वजह क्या है; कोई बताए उसे मेरी खता क्या है; जो वजह से करे पसंद किसी को, उसमें मज़ा क्या है। |
रख हौंसला, वो मंजर भी आएगा; प्यासे के पास समंदर भी आएगा; थक कर ना बैठ, ऐ मंजिल के मुसाफिर; तुझे मंजिल भी मिलेगी और मिलने का मज़ा भी आएगा। |
मेरे वजूद में काश तू उतर जाए; मैं देखूं आइना और तू नजर आए; तु हो सामने और वक़्त ठहर जाए; ये जिंदगी तुझे यूँही देखते हुए गुजर जाए। |
इस कदर इस जहाँ में जिंदा हूँ मैं; हो गयी थी भूल अब शर्मिंदा हूँ मैं; मेरी कोशिश है कि ना हो तेरी दुनिया में कोई गम; तू आवाज़ दे गगन से एक परिंदा हूँ मैं। |
खुशी जिसने खोजी वो धन ले के लौटा; हंसी जिसने खोजी चमन ले के लौटा; मगर प्यार को खोजने चला जो वो; न तन ले के लौटा न मन ले के लौटा। |
फ़ना कर दे अपनी सारी ज़िन्दगी ख़ुदा की मुहब्बत में; यही वो वाहिद प्यार है जिस में बेवफ़ाई नहीं होती। |
जब आँख खुले तो धरती हिन्दुस्तान की हो: जब आँख बंद हो तो यादेँ हिन्दुस्तान की हो: हम मर भी जाए तो कोई गम नही लेकिन; मरते वक्त मिट्टी हिन्दुस्तान की हो। |
जब भी मैं तेरे सामने होता हूँ; ना जाने क्यों ऐसा लगता है; यह वक़्त यहीं थम जाए; ज़माना ना जाने क्यों इतना तेज़ बहता है। |
ऐ ख़ुदा मेरे रिश्ते में कुछ ऐसी बात हो; मैं सोचूँ उसको और वो मेरे साथ हो; मेरी सारी ख़ुशियाँ मिल जाएं उसको; एक लम्हें के लिए भी अगर वो उदास हो। |
दीदार की 'तलब' हो तो नज़रे जमाये रखना 'ग़ालिब'; क्युकी, 'नकाब' हो या 'नसीब'... सरकता जरुर है। |