तड़पती है आज भी रूह आधी रात को; निकल पड़ते हैं आँख से आँसू आधी रात को; इंतज़ार में तेरे वर्षों बीत गए सनम मेरे; दिल को है आस आएगी तू आधी रात को। |
उम्रे-दराज़ मांग कर लाये थे चार दिन; दो आरज़ू में कट गए दो इंतज़ार में। |
दिल को किसी आहट की आस रहती है; निगाहों को किसी सूरत की प्यास रहती है; तेरे बिना ज़िंदगी में कोई कमी तो नहीं; लेकिन फिर भी तेरे बिना ज़िदगी उदास रहती है। |
ये ना थी हमारी किस्मत कि विशाल-ए-यार होता; अगर और जीते रहते, यही इंतज़ार होता। |
मिट जाएगी मख्लूक़ तो इंसाफ करोगे; मुनासिब हो अगर तो हशर उठा क्यों नहीं देते। |
हम उनको मनाने जायेंगे, उनकी उम्मीद ग़ज़ब की है; वे खुद चलकर आयेंगे, हमारी भी जिद्द ग़ज़ब की है। |
उदास आँखों में करार देखा है; पहली बार उसे इतना खुश और बेक़रार देखा है; जिसे खबर ना होती थी मेरे आने जाने की; उसकी आँखों में अब इंतज़ार देखा है। |
तू पास भी हो तो दिल बेक़रार अपना है; कि हमको तेरा नहीं, इंतज़ार अपना है। |
कौन आता है मगर आस लगाए रखना; उम्र भर दर्द की शमाओं को जलाए रखना। |
वो रुख्सत हुई तो आँख मिलाकर नहीं गई; वो क्यों गई यह बताकर नहीं गई; लगता है वापिस अभी लौट आएगी; वो जाते हुए चिराग़ बुझाकर नहीं गई। |