नासमझ तो वो ना थे इतना; कि प्यार को हमारे समझ ना सके; पेश किया दर्द-ए-दिल हमने नगमों में; उसे वो सिर्फ शेर समझ बैठे! |
वो दर्द ही क्या जो आँखों से बह जाए; वो खुशी ही क्या जो होठों पर रह जाए; कभी तो समझो मेरी खामोशी को; वो बात ही क्या जो लफ्ज़ आसानी से कह जायें। |
प्यार तो किया मैंने बहुत; मगर इज़हार न करना आया; उसने पूछा तो मुझसे बहुत; मगर इकरार न करना आया! |
सिर्फ एक बार आओ मेरी आँखों के रास्ते दिल में; फिर लौटने का इरादा तुम पर छोड़ देंगे! |
लहरों से मिलकर, न वो बह सके न हम; एक दूजे के दिल में, न वो रह सके न हम; जीत लेते आसमां एक दिन; लेकिन पलकों की ख़ामोशी को होठों से, न वो कह सके न हम! |
झुकी हुई पलकों से, उनका दीदार किया; सब कुछ भुला के, उनका इंतजार किया! वो जान ही न पाए, जज्बात मेरे; जिन्हें दुनिया में मैंने, सबसे ज्यादा प्यार किया! |
यादो की शमा जब बुझती दिखाई देगी; तेरी हर साँस मेरे वजूद की गवाई देगी; तुम अपने अन्दर का शोर कम करो; मेरी हर आहट तुम्हे सुनाई देगी! |
बनके आंसूं आँख से हम बह सकते नहीं! दिल में उनके है जगह, पर हम ही रह सकते नहीं! दुनिया भरके हमसे शिकवे, लाख हमसे हैं गिले! अपने दिल की बात हाये हम ही कह सकते नहीं! |
कोई वादा नहीं फिर भी तेरा इंतज़ार है! जुदाई के बाद भी तुम से प्यार है! तेरे चेहरे की उदासी बता रही है! मुझसे मिलने के लिये तू भी बेकरार है! |
जब कोई ख्याल दिल से टकराता है! दिल न चाह कर भी, खामोश रह जाता है! कोई सब कुछ कहकर, प्यार जताता है! कोई कुछ न कहकर भी, सब बोल जाता है! |