दिल का दर्द छुपाना कितना मुश्किल है, ग़म में मुस्कुराना कितना मुश्किल है, दूर तक जब चलो किसी के साथ, फिर तन्हा लौट के आना कितना मुश्किल है। |
साहेब अब ये ना पूछना की अल्फाज कहा से लाता हूँ; कुछ चुराता हूँ दर्द दूसरों के, कुछ अपनी सुनाता हूँ! |
शौक-ए-आज़माइश भी एक रोग है; लग जाए तो रिश्तों को किश्तों से गुजरना पड़ता है! |
मैं तो इस वास्ते चुप हूँ की तमाशा ना बने, और तू समझता है मुझे तुझसे कोई गिला नहीं! |
छुपकर मेरी नज़र से गुज़र जाईये मगर; बचकर मेरे ख्याल से किधर जाईयेगा! |
ऐसा ना हो तुझको भी दीवाना बना डाले, तन्हाई में खुद अपनी तस्वीर न देखा कर। |
कभी दो शब्द प्यार के तुम भी लिख दिया करो जनाब, हमें लिखना ही नही पढ़ना भी खूब आता है। |
रिश्तों में झुकना कोई अजीब बात नही है साहब, सूरज भी तो ढल जाता है चाँद के लिए। |
ढूंढते हो तुम वहां जहां मेरा निशां भी नहीं बाकी; कभी खुद मे खोजना मुझको बस वहीं बाकी हूँ मैं! |
खुदा ने भी बड़े अजीब से दिल के रिश्ते बनाएँ हैं; सब से ज्यादा वही रोया, जिस ने यह इमान्दारी से निभाएँ हैं! |