अब क्या जवाब दूँ मैं, कोई मुझे बताये; वह मुझसे कह रहे हैं, क्यों मेरी आरज़ू की। |
तेरा नजरिया मेरे नजरिये से अलग था; शायद तूने वक्त गुजारना था और हमे सारी जिन्दगी! |
दुश्मनों के साथ मेरे दोस्त भी आज़ाद हैं; देखना है, फेंकता है मुझ पर पहला तीर कौन! |
इतने संगदिल ना बनो कुछ तो मुरव्वत सीखो; तुम पर मरते हैं तो क्या मार ही डालोगे! |
मैं तुम्हारी कुछ मिसाल तो दे दूँ मगर जानां; जुल्म ये है कि बे-मिसाल हो तुम! |
तुम हंसो तो दिन, चुप रहो तो रातें हैं; किस का ग़म, कहाँ का ग़म, सब फज़ूल बातें हैं! |
कितना खुशनुमा होगा वो मेरे इँतज़ार का मंजर भी; जब ठुकराने वाले मुझे फिर से पाने के लिये आँसु बहायेंगे! |
किसी के ज़ख्म का मरहम, किसी के ग़म का ईलाज; लोगों ने बाँट रखा है मुझे, दवा की तरह। |
अक्सर वो फैंसले मेरे हक़ में गलत हुए; जिन फैंसलों के नीचे तेरे दस्तखत हुए! |
फ़क्र ये कि तुम मेरे हो; फ़िक्र ये कि पता नहीं कब तक। |