गिला शिकवा Hindi Shayari

  • हमें कोई ग़म नहीं था ग़म-ए-आशिक़ी से पहले,
    न थी दुश्मनी किसी से तेरी दोस्ती से पहले;
    है ये मेरी बदनसीबी तेरा क्या कसूर इसमें,
    तेरे ग़म ने मार डाला मुझे ज़िन्दग़ी से पहले।
  • मुस्कुरा कर उन का मिलना और बिछड़ना रूठ कर;<br/>
बस यही दो लफ़्ज़ एक दिन दास्ताँ हो जायेंगे।Upload to Facebook
    मुस्कुरा कर उन का मिलना और बिछड़ना रूठ कर;
    बस यही दो लफ़्ज़ एक दिन दास्ताँ हो जायेंगे।
  • तुम्हारी खुशियों के ठिकाने बहुत होंगे मगर,<br/>
हमारी बेचैनियों की वजह बस तुम हो।Upload to Facebook
    तुम्हारी खुशियों के ठिकाने बहुत होंगे मगर,
    हमारी बेचैनियों की वजह बस तुम हो।
  • वो लफ्ज कहाँ से लाऊं जो तेरे दिल को मोम कर दें,<br/>
मेरा वजूद पिघल रहा है तेरी बेरूखी से।Upload to Facebook
    वो लफ्ज कहाँ से लाऊं जो तेरे दिल को मोम कर दें,
    मेरा वजूद पिघल रहा है तेरी बेरूखी से।
  • ना कर दिल अजारी, ना रुसवा कर मुझे;<br/>

जुर्म बता, सज़ा सुना और किस्सा खत्म कर।Upload to Facebook
    ना कर दिल अजारी, ना रुसवा कर मुझे;
    जुर्म बता, सज़ा सुना और किस्सा खत्म कर।
  • कसूर ना उनका है ना मेरा, हम दोनो रिश्तों की रसमें निभाते रहे;
    वो दोस्ती का एहसास जताते रहे, हम मोहबत को दिल में छुपाते रहे।
  • ज़िन्दगी यूँ ही बहुत कम है, मोहब्बत के लिए;<br/>
फिर एक दूसरे से रूठकर वक़्त गँवाने की जरूरत क्या है।Upload to Facebook
    ज़िन्दगी यूँ ही बहुत कम है, मोहब्बत के लिए;
    फिर एक दूसरे से रूठकर वक़्त गँवाने की जरूरत क्या है।
  • हाल जब भी पूछो खैरियत बताते हो,
    लगता है मोहब्बत छोड़ दी तुमने।
  • भीड़ में भी आज भी तन्हा खड़े हैं,
    जहाँ उनका साथ होना था वहाँ भी अकेले खड़े हैं।
  • वैसे ही दिन वैसी ही रातें हैं ग़ालिब, वही रोज का फ़साना लगता है;
    अभी महीना भी नहीं गुजरा और यह साल अभी से पुराना लगता है।