अधूरी हसरतों का आज भी इल्ज़ाम है तुम पर, अगर तुम चाहते तो ये मोहब्बत ख़त्म ना होती। |
कहो तो थोड़ा वक्त भेज दूँ, सुना है तुम्हें फुर्सत नहीं मुझसे मिलने की। |
तुम्हीं कहते थे कि यह मसले नज़र सुलझी तो सुलझेंगे; नज़र की बात है तो फिर यह लब खामोश रहने दो। |
मशरूफ रहने का अंदाज़ तुम्हें तन्हा न कर दे ग़ालिब, रिश्ते फुर्सत के नहीं तवज्जो के मोहताज़ होते हैं। |
जो लम्हा साथ हैं उसे जी भर के जी लेना, कम्बख्त ये जिंदगी भरोसे के काबिल नहीं है। |
तुम आए थे, पता लगा, सुन कर, अच्छा भी लगा; पर गेरों से पता चला, बेहद बुरा लगा। |
हम कुछ ना कह सके उनसे, इतने जज्बातों के बाद, हम अजनबी के अजनबी ही रहे इतनी मुलाकातो के बाद। |
तमाम गिले-शिकवे भुला कर सोया करो यारो सुना है मौत किसी को मुलाक़ात का मौका नही देती। |
मुदद्तें हो गयी हैं चुप रहते रहते, कोई सुनता तो हम भी कुछ कहते। |
दिलों कि बात भले करता हो जमाना, मगर मोहब्बत आज भी चेहरों से ही होती है। |