मयखाने से पूछा आज इतना सन्नाटा क्यों है, बोला साहब लहू का दौर है शराब कौन पीता है। |
इंसान बुलबुला है पानी का, जी रहे हैं कपडे बदल बदल कर, एक दिन एक 'कपडे' में ले जायेंगे कंधे बदल बदल कर। |
गिरते हुए आँसुओं को कौन देखता है, झूठी मुस्कान के दीवाने हैं सब यहाँ। |
अपना होगा तो सता के मरहम देगा, जालिम होगा अपना बना के जख्म देगा, समय से पहले पकती नहीं फसल, अरे बहुत बरबादियां अभी मौसम देगा। |
छुप छुप कर तेरी सारी तस्वीरें देखता हूँ, बेशक तू ख़ूबसूरत आज भी है, पर चेहरे पर वो मुस्कान नहीं जो मैं लाया करता था। |
एहसान ये रहा तोहमत लगाने वालों का मुझ पर, उठती उँगलियों ने मुझे मशहूर कर दिया। |
लम्हों की दौलत से दोनों ही महरूम रहे, मुझे चुराना न आया, तुम्हें कमाना न आया। |
खामोश बैठें तो वो कहते हैं उदासी अच्छी नहीं, ज़रा सा हँस लें तो मुस्कुराने की वजह पूछ लेते हैं। |
मोहब्बत की आजमाइश दे दे कर थक गया हूँ ऐ खुदा; किस्मत मेँ कोई ऐसा लिख दे, जो मौत तक वफा करे। |
कौन कहता है मुसाफिर जख्मी नही होते, रास्ते गवाह हैं कम्बख्त गवाही नही देते। |