बड़े शौक से बनाया तुमने मेरे दिल मे अपना घर, जब रहने की बारी आई तो तुमने ठिकाना बदल दिया। |
ये बेवफा, वफा की कीमत क्या जाने; ये बेवफा गम-ए-मोहब्बत क्या जाने; जिन्हे मिलता है हर मोड पर नया हमसफर; वो भला प्यार की कीमत क्या जाने। |
चलो आज अपना हुनर आज़माते हैं, तुम तीर आजमाओ हम अपना जिगर आज़माते हैं। |
हम हैं मता ए कूचा ओ बाज़ार की तरह, उठती है हर निगाह खरीदार की तरह। |
इश्क़ में मेरा टूटना लाजमी था, काँच का दिल था और मोहब्बत पत्थर से की थी। |
ख़ूब पर्दा है कि चिलमन से लगे बैठे हैं, साफ़ छुपते भी नहीं सामने आते भी नहीं। |
उसने देखा ही नहीं अपनी हथेली को कभी; उसमे हलकी सी लकीर मेरी भी थी। |
उसने देखा ही नहीं अपनी हथेली को कभी; उसमे हलकी सी लकीर मेरी भी थी! |
करें किसका यक़ीन यहाँ सब अदाकार ही तो हैं, गिला भी करें तो किससे करें सब अपने यार ही तो हैं। |
तेरी महफ़िल से उठे तो किसी को खबर तक ना थी, तेरा मुड़-मुड़ कर देखना हमें बदनाम कर गया। |