तेरा नज़रिया मेरे नज़रिये से अलग था शायद, तुझे वक्त गुज़ारना था और मुझे जिन्दगी। |
दिल जलाने की आदत उनकी आज भी नहीं गयी; वो आज भी फूल बगल वाली कबर पर रख जाते हैं। |
ज़िन्दगी में हमेशा नए लोग मिलेंगे; कहीं ज्यादा तो कहीं कम मिलेंगे; ऐतबार ज़रा सोच समझ कर करना; मुमकिन नहीं हर जगह तुम्हें हम मिलेंगे। |
अपने सिवा बताओ कभी कुछ मिला भी है क्या तुम्हें; हज़ार बार ली हैं तुमने मेरे दिल की तलाशियाँ। |
लेकर के मेरा नाम वो मुझे कोसता है; नफरत ही सही पर वो मुझे सोचता तो है। |
निकले थे इसी आस पे कि किसी को अपना बना लेंगे; एक ख्वाहिश ने उम्र भर का मुसाफिर बना दिया। |
अपने अपने किये पे हैं हम दोनों इतने शर्मिंदा; दिल हम से कतराता है और हम दिल से कतराते हैं। |
दिल से पूछो तो आज भी तुम मेरे ही हो; ये ओर बात है कि किस्मत दग़ा कर गयी। |
उसे किसी की मोहब्बत का ऐतबार नहीं; उसे ज़माने ने शायद बहुत सताया है। |
अच्छा है दिल के साथ रहे पासबान-ए-अक़्ल; लेकिन कभी कभी इसे तन्हा भी छोड़ दे। |