गिला शिकवा Hindi Shayari

  • वक़्त का पता नहीं चलता अपनों के साथ,
    पर अपनों का पता चलता है, वक़्त के साथ;
    वक़्त नहीं बदलता अपनों के साथ,
    पर अपने ज़रूर बदल जाते हैं वक़्त के साथ।
  • नज़र और नसीब के मिलने का इत्तेफ़ाक़ कुछ ऐसा है;<br />
कि नज़र को पसंद हमेशा वही चीज़ आती है, जो नसीब में नहीं होती है।Upload to Facebook
    नज़र और नसीब के मिलने का इत्तेफ़ाक़ कुछ ऐसा है;
    कि नज़र को पसंद हमेशा वही चीज़ आती है, जो नसीब में नहीं होती है।
  • है किस्मत हमारी आसमान में चमकते सितारे जैसी;
    लोग अपनी तमन्ना के लिए हमारे टूटने का इंतज़ार करते हैं।
  • वो लफ्ज कहां से लाऊं जो तेरे दिल को मोम कर दें;
    मेरा वजूद पिघल रहा है तेरी बेरूखी से।
  • कैसे करुं भरोसा गैरों के प्यार पर;<br />
यहाँ अपने ही मजा लेते हैं अपनों की हार पर।Upload to Facebook
    कैसे करुं भरोसा गैरों के प्यार पर;
    यहाँ अपने ही मजा लेते हैं अपनों की हार पर।
  • कितना इख़्तियार था उसे अपनी चाहत पर;<br />
जब चाहा याद किया जब चाहा भुला दिया;<br />
बहुत अच्छे से जानता है वो मुझे बहलाने के तरीके;<br />
जब चाहा हँसा दिया जब चाहा रुला दिया।Upload to Facebook
    कितना इख़्तियार था उसे अपनी चाहत पर;
    जब चाहा याद किया जब चाहा भुला दिया;
    बहुत अच्छे से जानता है वो मुझे बहलाने के तरीके;
    जब चाहा हँसा दिया जब चाहा रुला दिया।
  • कितना अजीब है लोगों का अंदाज़-ए-मोहब्बत;
    रोज़ एक नया ज़ख्म देकर कहते हैं अपना ख्याल रखना।
  • ना छेड़ क़िस्सा वो उल्फत का;<br />
बड़ी लम्बी यह कहानी है;<br />
हारे नहीं हम अपनी ज़िन्दगी से;<br />
यह तो किसी अपने की मेहरबानी है।Upload to Facebook
    ना छेड़ क़िस्सा वो उल्फत का;
    बड़ी लम्बी यह कहानी है;
    हारे नहीं हम अपनी ज़िन्दगी से;
    यह तो किसी अपने की मेहरबानी है।
  • वादे वफ़ा करके क्यों मुकर जाते हैं लोग;<br />
किसी के दिल को क्यों तड़पाते हैं लोग;<br />
अगर दिल लगाकर निभा नहीं सकते;<br />
तो फिर क्यों दिल से इतना लगाते हैं लोग।qUpload to Facebook
    वादे वफ़ा करके क्यों मुकर जाते हैं लोग;
    किसी के दिल को क्यों तड़पाते हैं लोग;
    अगर दिल लगाकर निभा नहीं सकते;
    तो फिर क्यों दिल से इतना लगाते हैं लोग।q
  • लोग तो बेवजह ही खरीदते हैं आईने;<br />
आँखें बंद करके भी अपनी हकीकत जानी जा सकती है।Upload to Facebook
    लोग तो बेवजह ही खरीदते हैं आईने;
    आँखें बंद करके भी अपनी हकीकत जानी जा सकती है।