वो पत्थर कहाँ मिलता है बताना जरा ए दोस्त; जिसे लोग दिल पर रखकर एक दूसरे को भूल जाते हैं! |
मेरे अकेलेपन का मजाक बनाने वालो जरा ये तो बताओ; जिस भीड़ में तुम खडे हो उसमें कौन तुम्हारा है! |
कहने की तलब नहीं कुछ बस; तुम्हारे आस-पास होने की ख़्वाहिश है! |
कल तक उड़ती थी जो मुँह तक आज पैरों से लिपट गई; चंद बूँदे क्या बरसी बरसात की धूल की फ़ितरत ही बदल गई! |
किसी ने यूँ ही पूछ लिया हमसे कि दर्द की कीमत क्या है; हमने हँसते हुए कहा, पता नहीं कुछ अपने मुफ्त में दे जाते हैं। |
ढूंढोगे कहाँ मुझको, मेरा पता लेते जाओ; एक कबर नयी होगी एक जलता दिया होगा! |
रोज़ जले, फिर भी खाक न हुए; अजीब है कुछ ख्वाब भी, बुझ कर भी न राख हुए! |
शतरंज खेलते रहे वो हमसे कुछ इस कदर; कभी उनका इश्क़ मात देता तो कभी उनके लफ्ज़! |
तलाश कर मेरी कमी को अपने दिल में एक बार; दर्द हो तो समझ लेना मोहब्बत अभी बाकी है! |
कल तुझसे बिछड़ने का फैसला कर लिया था; आज अपने ही दिल को रिश्वत दे रहा हूँ! |