इक रात में सौ बार जला और बुझा हूँ; मुफ़्लिस का दिया हूँ मगर आँधी से लड़ा हूँ! |
किसी के जख़्म का मरहम, किसी के ग़म का इलाज़; लोगों ने बाँट रखा है, मुझे दवा की तरह! |
आज़मा ले मुझको थोडा और ए खुदा; तेरा बंदा बस बिखरा है अभी तक टूटा नही! |
हमें तो प्यार के दो लफ्ज ही नसीब नहीं, और बदनाम ऐसे जैसे इश्क के बादशाह थे हम। |
जीतने का दिल ही नहीं करता अब मेरे दोस्त, एक शख्स को जब से हारा हूँ मैं। |
आज कुछ नहीं है मेरे शब्दों के गुलदस्ते में ऐ दोस्त, कभी-कभी मेरी ख़ामोशियाँ भी पढ़ लिया करो। |
तुम ने तो सोचा होगा, मिल जायेंगे बहुत चाहने वाले, ये भी ना सोचा कभी कि, फर्क होता है चाहतों में भी। |
एक अज़ीब सा रिश्ता है मेरे और ख्वाहिशों के दरमियाँ, वो मुझे जीने नही देतीं और मैं उन्हें मरने नही देता। |
मुझे छोड़कर वो खुश हैं, तो शिकायत कैसी; अब मैं उन्हें खुश भी न देखूं तो मोहब्बत कैसी। |
चैन से रहने का हमको मशवरा मत दीजिये, अब मजा देने लगी है जिन्दगी की मुश्किलें। |