रात तो वक़्त की पाबंद है ढल जाएगी, देखना ये है चराग़ों का सफ़र कितना है। |
मुझे तो आज पता चला कि मैं किस क़दर तनहा हूँ, पीछे जब भी मुड़ कर देखता हूँ तो मेरा साया भी मुँह फेर लेता है। |
ज़र्रा ज़र्रा जल जाने को हाज़िर हूँ, बस शर्त है कि वो आँच तुम्हारी हो। |
उसकी जीत से होती है ख़ुशी मुझको, यही जवाब मेरे पास अपनी हार का था। |
तमाम उम्र उम्मीद-ए-बहार में गुजरी, बहार आई तो पैगाम मौत का लाई। |
सौ बार कहा दिल से कि भूल जा उसको, हर बार दिल कहता है कि तुम दिल से नही कहते। |
मुझे यकीन है मोहब्बत उसी को कहते हैं, कि जख्म ताज़ा रहे और निशान चला जाये। |
कितनी जल्दी थी उसको रूठ जाने की, आवाज़ तक न सुनी दिल के टूट जाने की। |
हमारे दिल से आज धुआँ निकल रहा है, लगता है उसने मेरे ख्वाबों को जला डाला है। |
वो अपने ही होते हैं जो लफ्जों से मार देते हैं, वरना गैरों को क्या खबर कि दिल किस बात पे दुखता है। |