कितने मज़बूर हैं हम तकदीर के हाथो, ना तुम्हे पाने की औकात रखतेँ हैँ, और ना तुम्हे खोने का हौसला। |
दिल को हल्का कर लेता हूँ लिख-लिख कर, लोग समझते हैं मैं शायर हो गया हूँ। |
ज़रा सी ज़िंदगी है, अरमान बहुत हैं, हमदर्द नहीं कोई, इंसान बहुत हैं, दिल के दर्द सुनाएं तो किसको, जो दिल के करीब है, वो अनजान बहुत हैं। |
रोज़ आता है मेरे दिल को तस्सली देने, ख्याल-ए-यार को मेरा ख्याल कितना है। |
मिल जाएँगे हमारी भी तारीफ़ करने वाले, कोई हमारी मौत की अफ़वाह तो फैलाओ यारों। |
जिंदगी में कुछ ऐसे लोग भी मिलते हैं, जिन्हें हम पा नही सकते सिर्फ चाह सकते हैं। |
हम वो ही हैं, बस जरा ठिकाना बदल गया हैं अब, तेरे दिल से निकल कर, अपनी औकात में रहते हैं। |
अगर एहसास बयां हो जाते लफ्जों से, तो फिर कौन करता तारीफ खामोशियों की। |
मोहब्बत कितनी भी सच्ची क्यों ना हो, एक ना एक दिन तो आंसू और दर्द ज़रूर देती है। |
अजीब किस्सा है जिन्दगी का, अजनबी हाल पूछ रहे हैं और अपनो को खबर तक नहीं। |